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कृष्ण की बाँसुरी हो गए
     

 





 

 


 




 


एक प्यासी नदी हो गए
ऐसी हम ज़िन्दगी हो गए

राधिका के अधर पर सजी
कृष्ण की बाँसुरी हो गए

जब से गोकुल हुआ है ये मन
हम तो ब्रज की गली हो गए

प्रीति के मुस्कुराए नयन
हो सजल, रोशनी हो गए

मोह का ऐसा जादू चला
नेह की माधुरी हो गए

-प्रो.विश्वम्भर शुक्ल
२६ अगस्त २०१३

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