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कृष्ण नाम
     

 





 

 


 




 



कृष्ण नाम का मन्त्र है, खुलें मुक्ति के द्वार
जन्म-मरण के चक्र का, हो भव सागर पार
हो भवसागर पार, जपें सच्चे हिरदय से
करते नहीं विलम्ब, पाप हरते जीवन से
चमत्कार अवतार, जन्म सुखधाम श्याम का
मिले अभय वरदान, महातम कृष्ण नाम का


आकर प्रभु अब देखिये, धरती का क्या हाल
भूल गए हो किसलिए, अहो! नन्द के लाल
अहो नन्द के लाल, जमुन जल है फिर दूषित
गोरज हुआ अकाल, धूम से धरा प्रदूषित
चीर हरण हो नित्य, दुष्ट बैठे घर-बाहर
आओ ले अवतार, हरो सब के दुख आकर


आते से हरि दौड़ के, सुन भक्तों की पीर
मुक्त किया गज को कभी, बढ़ा द्रौपदी चीर
बढ़ा द्रौपदी चीर, पार्थ को सीख नीति की
पाने निज अधिकार, समर, निष्काम प्रीति की
बीते वर्ष सहस्त्र, आज भी जो अपनाते
गीता के सुविचार, निकल मुश्किल से आते ..

- ज्योतिर्मयी पंत
१८ अगस्त २०१४

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