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नया साल
 
समय की देहरी लाँघ
आ गया फिर नया साल

देहरी के उस पार न जाने
क्या-क्या छोड़ आया
जाने किस से प्रीत बाँधी
रिश्ते जोड़ आया

बीती सारी बातों पर
धीरे-धीरे पर्दा डाल

नई-नई हैं उमंगें और
नए-नए हैं रास्ते
अनछुई मंजिलें सब
खड़ी हैं तेरे वास्ते

और तेज कर जरा
सुस्त कदमों की चाल

करते-करते भी जो
काम कई छूट गये
सपने मीठे -मीठे
आँखों से रूठ गये

पुरुषार्थ से बदल दे
फिर तारों की चाल

- पुरु मालव      
१ जनवरी २०१७

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