अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

नव बरस पर तुम
 
नव बरस पर तुम चमन में
एक फिर बिरवा लगाना
भूलकर भी किंतु उसको
बोनसाई मत बनाना

जब मिले फुरसत स्वयं से
स्नेह से करना गुड़ाई
किंतु उसकी टहनियों की
कभी मत करना छँटाई

पंछियों को है इसी पर
घोसलों में सुर सजाना

बढ़ सके यह मस्त होकर
तुम सदा करना भलाई
बरस पूरा हो सुहाना
पड़े ना कोई खटाई

खटखटाएगा तुम्हारा
द्वार, ख़ुशियों का तराना

- रावेंद्रकुमार रवि
१ जनवरी २०१७

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter