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कदम बढ़ाता समय
 
कदम बढ़ाता समय जा रहा
नये साल में

अनगिन इच्छाएँ हैं मन में
साथ सदा रहतीं जीवन में
कुछ पूरी होती हैं लेकिन
कुछ रह जाती हैं मलाल में

कदम बढ़ाता समय जा रहा
नये साल में।

फूलों की सुन्दरता में भी
खो जाता मन-प्राण जब कभी
उत्तर सहसा ही मिल जाते
मुरझा जाने के सवाल में

कदम बढ़ाता समय जा रहा
नये साल में।

नये साल की खुशियाँ लेकर
मुक्त हृदय बाहें फैलाकर
सबको मिलकर गले लगाता
बिन उलझे कोई बवाल में

कदम बढ़ाता समय जा रहा
नये साल में।

खूब फैलना और फूलना
जटिल बहुत सारी संरचना
क्षमता है अद्भुत जीवन की
देखो तो बरगद विशाल में

कदम बढ़ाता समय जा रहा
नये साल में।

- सुरेन्द्रपाल वैद्य     
१ जनवरी २०१७

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