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सबका स्वागत है
 
नए साल के संविधान में
सबका स्वागत है ।

सपने आँखों में नाचेंगे
फूलों की रंगत जाँचेंगे
सतरंगी अम्बर के नीचे
खुशियों की पोथी बाँचेंगे

आशा के पुष्पक विमान में
सबका स्वागत हैं !

घूँघट में मुस्कान खिलेगी
हल्दी रुचि-रुचि रंग चढ़ेगी
धूप मलेगी उबटन दिन को
दीपक के सँग साँझ हँसेगी

संवतसर के नव विधान में
सबका स्वागत है !

सूरज उतरेगा आँगन में
बतरस घोलेगा बचपन में
छोटे-बड़े कुसुमदल मिलकर
खुशबू भर देंगे जीवन में

नारंगी से मृदु विहान में
सबका स्वागत है !

- कल्पना मनोरमा    
१ जनवरी २०१८

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