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नवगीत हम गाते रहेंगे
 
साल आये फिर गये, जाते रहेंगे
दुधमुँहे नवगीत हम गाते रहेंगे

भोर किरनों का मिलन अमराइयों से
देह का संगम युवा अँगड़ाइयों से
नम हवाओं की छुवन से फूल दो
द्वार पर दिन-रात मुस्काते रहेंगे
दुधमुँहे नवगीत हम गाते रहेंगे

कल्पना की कोख में पनपा अरुन सा
भाव कोई बस गया मन में सगुन सा
देहरी के पार आयी लेखनी तो
दिन महीने वर्ष ललचाते रहेंगे
दुधमुँहे नवगीत हम गाते रहेंगे

चहचहाये कुछ विगह चाहें दबाये
काश दिन कोई सुहाना लौट आये
नीड़ के तिनके बनें तलवार कैसे
यत्न ऐसे ढूँढकर लाते रहेंगे
दुधमुँहे नवगीत हम गाते रहेंगे

- उमा प्रसाद लोधी     
१ जनवरी २०१८

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