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        नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन

 

जो बीता वर्ष रहा असहज
आगे हो सहज कामना है
नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन
तुम ही जीवन अभिलाषा हो

इस स्याह-अँधेरे मौसम में
जममग प्रकाश बन कर आना
नैराश्य भरे जनजीवन को
फिर नई राह तुम दिखलाना
हर वर्ष नया कुछ करने की
कसमें लेकर तुम आते हो
इस बार प्राण रक्षा वाली
तदबीर नई कुछ बतलाना
तुम आओ जगमग दीप लिए
उम्मीद भरी नव आशा हो

खुशियाँ कर रही किनारे है
'चिर-निद्रा' पाँव पसारे है
जग इसके आगे हार गया
अब तो बस तुम्हें पुकारे है
तुम शक्तिमान बनकर आना
तन-मन अब भोर सहारे है
तुम बनो सभी के नव प्रभात
हर प्राणी बाट निहारे है
खुशियाँ,परिवार, शक्ति पूरित
तुम कल्याणी परिभाषा हो

- डॉ. मंजुलता श्रीवास्तव
१ जनवरी २०२१

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