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         मुबारक ये साल सबका

 
सपन सलोने नए सजाना, कि हो मुबारक ये साल सबका
यों स्वागतों में हैं सिर झुकाना, कि हो मुबारक ये साल सबका

बदलते मौसम के साथ सारे, बदल गए दिन कलेंडरों के
नए कथानक से दिल लुभाना, कि हो मुबारक ये साल सबका

खुली पिटारी है रंगों वाली, लो खिल गए फूल आस के भी
यों ज़िन्दगी में महक लुटाना, कि हो मुबारक ये साल सबका

सुकूँ का सावन बरस जो जाए, मिटेगा हर दंश भी विगत का
लबों पे सुख का रहे तराना, कि हो मुबारक ये साल सबका

नए बरस की नई चुनौती, सरल सहज रह के साधना है
है हौसलों से सफ़र सुहाना, कि हो मुबारक ये साल सबका

घिरे न फिर अब दुखों के बादल, न साँसों पर बोझ हो कोई भी
यही दुआ है सुने ज़माना, कि हो मुबारक ये साल सबका

- आभा खरे
१ जनवरी २०२२

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