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रोने से अच्छा है साथी
चलो हँसी के अवसर खोजें

समय निर्दयी हरदम दुख का
पाठ पढ़ाता है
साँस डोर पर साध ज़िंदगी
नाच नचाता है

धरे हाथ पर हाथ न बैठें
रोटी-पानी के दर खोजें

ऊबड़-खाबड़ रस्तों पर ही
चलना मजबूरी
छुपी गर्द में अपनी मंज़िल
दुनिया बेनूरी

गढ़नी है खुद राह मुकम्मल
बाहर नहीं तो अंदर खोजें

आहत होकर मरी पड़ी हैं
सब की उम्मीदें
हाथ काट कर बने आधुनिक
बेचें तकनीकें

पर सुलझी न कोई समस्या
वर्तमान से बेहतर खोजें

- जयप्रकाश श्रीवास्तव
१ जनवरी २०२२

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