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         चलो यह शपथ लें

 
चलो यह शपथ लें
नये साल में हम

किसी को यहाँ पर ना कोई छलेगा
नहीं चाल कोई सियासी चलेगा
विषमता न रौंदे पकड़कर किसी को
नहीं वक्ष पर मूँग कोई दलेगा
रखे रब रहेंगे
उसी हाल में हम

दिलों से अंधेरा निकालें भगाएँ
दिवस आने वाले दिवाली बनाएँ
जड़ों से उखाड़ें मरी मान्यताएँ
सोये हुए हम मनुज को जगाएँ
मिलाएँगे काला
नहीं दाल में हम

दिखाई हमें दे सभी में भलाई
चलो दें बढ़ावा पकड़कर कलाई
गिरों को उठाएँ सुपथ पर चलाएँ
कहाँ का ये झगड़ा कहाँ की लड़ाई
फँसायेंगे मछली
नहीं जाल में हम

दया नेह करुणा की दुनिया बनाएँ
सुसद्भावनाओं के दीपक जलाएँ
नहीं हो निराशा कहीं भी धरा पर
सूरज नया आस का हम उगाएँ
रखें ढाई आखर को
रूमाल में हम

- मनोज जैन मधुर
१ जनवरी २०२२

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