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          नया सबेरा आया है

 
दूर रहें कह दो उन काली रातों से
उम्मीदों का सूरज फिर मुसकाया है
अनजाने सपनों की आकुल रात गयी
नयी किरण ले नया सबेरा आया है

मदमाते फूलों की हम क्या बात करें
हमने दामन में काँटे भी पालें है
बंद किए पलकों में यादों के पल छिन
कंपित अधरों पर मौसम के ताले हैं
आओ स्वागत करें हर्षमय जीवन का
जिसने अंधियारों में दीप जलाया है
नयी किरण ले नया सबेरा आया है

बंद झरोखों के अंधे कपाट खोलें
सन्नाटो में घोलें सरगम की बातें
मन के सूने आँगन में गुंजन भर दें
दीपों से जगमग हों अंधियारी रातें
मन-दर्पण में स्वप्न नया सरसाया है
नयी किरण ले नया सबेरा आया है

- पद्मा मिश्रा
१ जनवरी २०२२

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