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         नये वर्ष में नया करेंगे

 
नये वर्ष में
नया करेंगे

समय-चक्र के क्रूरव्यूह ने
कुछ संकट थोपे थे,
हमने भी तो आशाओं के
कुछ पौधे रोपे थे
बड़े-बड़े वे
वृक्ष बनेंगे

मान लिये थे सुख के संगी
हम गिरकर टूट गये
और बसे थे आँखों में जो
वे सपने छूट गये
मतिभ्रम उनका
दूर करेंगे

हम अभी हिमालय छू सकते
सागर भी भर सकते
चाँद, सितारे, धरती, अम्बर
मुट्ठी में कर सकते
बारी आते
सिद्ध करेंगे

- डॉ. शैलेश गुप्त 'वीर'
१ जनवरी २०२२

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