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नव वर्ष अभिनंदन
2007

नए वर्ष के स्वागत पथ पर

         

नए वर्ष के स्वागत पथ पर
खड़ा अकेला बीच डगर पर
कोई नही नज़र में आता
जिससे हो कुछ अपना नाता

रात लगी है कुछ-कुछ ढलने
ख्वाबों की महफ़िल में मिलने
मैं घर से ही निकल गया हूँ
वर्ष नया मंगलमय कहने
पास तुम्हारे पहुँच गया हूँ
सारा शहर भरा खुशियों से
मैं ही ग़म में डूब गया हूँ

कितनी हसरत दिल में लेकर
सारे अरमाँ मसल गया हूँ

यों ही आज सिसकता बैठा
ढेरों आँसू सींच गया हूँ
ग़म के अरमानों का प्याला
घूँट-घूँट कर खींच गया हूँ

नहीं नशे में हुआ अभी तक
सारी मधुशाला पीकर भी
सोच-सोचकर खोज-खोजकर
अपना पथ ही भूल गया हूँ
किसको मधुर बधाई भेजूँ
या उनसे मिलने को जाऊँ

नए वर्ष के स्वागत पथ पर
कैसे मंगल दीप जलाऊँ

पवन कुमार शाक्य

  

नववर्ष का मंगलाचरण

स्वर्णिम परिधान पहनकर
नये वर्ष का है आवर्तन,
रवि रश्मियाँ करती हैं
आशाओं की ज्योति संचरण।
धवल चांदनी खिल-खिलकर,
भरती जीवन में आकर्षण,
रजनीगंधा की सुगंधि भर
प्रकृति करती अभिनंदन।
जीवन सुखमय बन जाए
क्षण-क्षण हो सुख परिपूरन,
ॠध्दि-सिध्दि नित करने आएँ
तव द्वार पर प्रति पल वंदन।
स्वास्थ्य, समृध्दि, सफलता
करें आजीवन प्रत्यावर्तन,
इंद्रधनुषी स्वप्न तुम्हारे
पा जाएँ संबल संकर्षण।
परिवार हो सुखमय क्षण-क्षण
सुख बन जाए तव जीवनधन,
वाणी वीणा लेकर गाए
नये वर्ष का मंगलाचरण...

नीरजा द्विवेदी
1 जनवरी 2007

मंगलमय नव वर्ष

सुख शांति का संदेश लिए
जब चाँद उदित होगा नभ पर

मानवता को पुष्पित करने
आलोक बिखेरेगा दिनकर

नैतिक मूल्यों का अवमूल्यन
अब और न हो यह सोच हृदय

जब मानव जान गँवाकर भी
ईमान बचाने हो तत्पर

तब होगा आलम खुशियों का
आच्छादित होगा चहुँ दिशि हर्ष

जन-जन महकेंगे मलयज से
तब मंगलमय होगा नव वर्ष

आदित्य शुक्ला

 

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