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नव वर्ष अभिनंदन

नवीन वर्ष वाहिनी

जागो विगत हुई प्रमाद की निशा आ रही नवीन वर्ष वाहिनी।।

नवीन वर्ष के नवल विहान में नवीन हर्ष के धवल वितान में।
नवीन सृष्टि के नवीन उपकरण नवीन तुष्टि के नवीनतम चरण।
नवीन प्ररेणा पुनीत तान ले नवीन चेतना नवीन प्राण ले।
नवीन ताल ले नवीन छंद ले नवीन रश्मि पुंज का प्रबंध ले।
नवीन गति नवीन लय नवीन स्वर नवीन ग्राम नाद मूर्च्छना मधुर।
प्रभात की नवीन वीण पर विहँस सुनो उषा अलाप रही रागिनी।।

नवीन वर्ष के पुनीत पर्व पर नवीन ऋतु प्रणीत सृष्टि गर्व पर।
प्राण कह रहे सखे पुलक-पुलक अमल अम्लान गान ये ललक-ललक।
उठो स्वदेश के भविष्य वर्तमान, युग युगांत तक रहो प्रदीप्त मान।
शुभ तुम्हें अहो नवीन वर्ष हो प्रशस्त पंथ हो सदैव हर्ष हो।
हो सफल प्रश्वास नव्य नाटिका फले सदैव भव्य भाग्य वाटिका
स्वदेश जाति का सदैव ध्यान हो बने विजय सदा पथानुगामिनी।।

प्रो. हरिशंकर आदेश
आकाश गंगा काव्य संग्रह से

  

सपना नया सुहाना

नया साल लेकर आया
सपना नया सुहाना

खट्टी मीठी यादों के संग
बीता साल पुराना
नया साल लेकर आया
सपना खूब सुहाना
विगत साल में कुछ खुशियाँ
हमसे जो थी रूठीं
उम्मीदों की बैसाखी
जो कुछ पल चलकर टूटी
मंज़िल पाते-पाते रह गई
चाह राह में भटकी
सागर की इक अंगड़ाई
जो कहर सुनामी ढायी
नए साल से यही कामना
अब चाह राह न भटके
मन हर्षाती लहरें अब फिर
कभी कहर ना बरपें
फौलादी उम्मीदों के संग
खुशियों का नज़राना
नया साल लेकर आया
सपना नया सुहाना

सत्यनारायण सिंह

 

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