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नया साल
 
नया साल औ' ताल नव, नव लय, नव संगीत
दुख के क्षण को भूलकर, गाएँ सुख के गीत।

मन में घुँघरू बज रहे, मनुआ देता ताल
आगत का स्वागत करो, समझ काल की चाल।

खुशियों का त्योहार है, खुशियों की बौछार
मन से मन जब मिल गए, भागे सभी विकार।

उर में सरगम जब बजे, मन हो जाता मस्त
बच्चे, बूढ़े, युवा जन, सब होते अलमस्त।

खट्टा, मीठा , चरपरा, है जीवन का स्वाद
दस्तक दे जब समय तो, बन जाओ फौलाद।

-मीना अग्रवाल
 

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