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झोली में सपने
 

अपनी झोली में
अनगिन सपने लेकर
फिर आया है
नया वर्ष

लोग तोल रहे हैं उन्हें
अपने अपने हिस्से
बाँटने की
लग पड़ी है होड़
मैं भी खड़ी हूँ
कतार में
मगर आँखों में
उभर रहा है- बीता वर्ष

टीस उठे हैं जख्म
फिर भी मैं
खड़ी हूँ उसी कतार में
कुछ सपने तो
आयेंगे हाथ
और खुशियों से
भरा भरा होगा
आने वाला- नया साल

उर्मिला शुक्ला
३१ दिसंबर २०१२

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