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वर्ष नया
 
उम्र की शोखियों को
निगाहों के सागर में समेटे
सदियों की तड़प को
अपनी बाहों में जकड़ के
खड़ा है वर्ष नया फिर
रूबरू आँखें अपनी बिछाए
उमड़ती उम्मीदें नई
नज़रों में अपनी भर के।

चलो इक बार फिर
जीवन के महकते प्याले को
पल-पल होठों से लगा लें
घूँट-घूँट पीकर इसे
वजूद अपना सजा लें।

चलो इक बार फिर
सितारों को भर के आँखों में
उस खुले आसमान को
सीनों में अपने छुपा लें।

नए वर्ष को इक बार फिर
गले से लगा लें।

- मीना चोपड़ा
५ जनवरी २०१५

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