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इंतजार
 
नये साल के
नये सूर्य की
नूतन किरणों तुम्हारा
इंतजार है मुझे।
तुम आओ ऐसे कि
मिट जाये
सारा अंधकार।

नये साल की
नवपवन मुझे
प्रतीक्षा है तुम्हारी
तुम बहो कुछ ऐसे कि
मिट जाये सारा ताप
औ आकाशी बादलों
झुक आओ तुम
धरती पर ऐसे कि
धूल नहाये गौरय्या
नाचे मोर
कि बरस बरस जायें मेह
तृप्त हो जाये धरती
और लहक उठे
मन होरी का।
कि अबके बरस
सब साध हो जाये पूरी
कि अब कभी
दबे न वो
कर्जे के भार से
आये न नौबत
कि ...
बरस बरस तक जिये होरी
बना रहे धनिया के
माथे का सेंदुर
खुश हो जायें
मंगलू और मनटोरा
और हम भी

- उर्मिला शुक्ल
५ जनवरी २०१५

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