१.
वो आये तो धूप लजाये
सूरज अपने में शरमाये
निंदिया आये बहुत मदभरी
क्या सखि साजन?
नहीं जनवरी !
२.
कभी हँसाया कभी रुलाया
बारह महिने साथ निभाया
मन पर अंकित है सब हाल
क्या सखि साजन?
गुज़रा साल!
३.
कितनी लगे कड़ाका सर्दी
मुझको छोड़ चला बेदर्दी
अब ना होगा उसका आना
क्या सखि साजन?
साल पुराना!
४.
फिर से वो है आने वाला
जाने क्या क्या लाने वाला
सबके लिए वो लाये हर्ष
क्या सखि साजन?
ना नव वर्ष!
५.
आया था आशाएँ लेकर
चला गया ढेरों दुख देकर
यादों में बस लिया सँभाल
क्या सखि साजन?
न, बीता साल!
- डॉ. प्रदीप शुक्ला
५ जनवरी २०१५ |