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       पतंगें ज़िन्दगी की

 
खूब उड़ती जा रही देखो पतंगें ज़िन्दगी की
मुस्कुराती खिलखिलाती हैं उमंगें ज़िन्दगी की

रंग हैं हर भाँति के गहरे चटख हल्के सभी जब
इंद्रधनुषी रंग में हैं ज्यों तरंगें ज़िन्दगी की

हर हृदय स्पंदित हुआ वश में नहीं हैं भावनाएँ
जीतनी हर हाल है हर बार जंगें ज़िन्दगी की

धार गंगे ज़िन्दगी की धन्य होकर बह रही है
राह में आती अँधेरी कुछ सुरंगें ज़िन्दगी की

कट रही है जब पतंगें भाग्य के नभ पर अचानक
राह पर अनगिन खड़ी हैं तब अड़ंगें ज़िन्दगी की

- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१ फरवरी २०२१

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