| रंग लिए आती हैं फागुनी हवाएँ आओ हम दोनो मिल प्रेम गीत गाएँ
 
            आँखों को भाया है हल्दी सा रूपहाथों में पिचकारी लाई है धूप
 तन सूखे सूखे हों मन भीग जाएँ
 आओ हम दोनो मिल प्रेम गीत गाएँ
 फूलों ने भौंरों से माँगा परागचौपालें गाती हैं ढोलक पे फाग
 सरसों की पाती को कैसे लौटाएँ
 आओ हम दोनो मिल प्रेम गीत गाएँ
 मौसम ने खोले हैं खुशियों के द्वारजागा है मन मन में सदियों का प्यार
 कलियों को संदेशे तितलियां सुनाएँ
 आओ हम दोनो मिल प्रेम गीत गाएँ
 -सुनील जोगी |