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वासंती हाइकु

 

  मेरा ठिकाना
खुशबुओं की गली
ज़रूर आना

फूल महके
एहसास बहके
वसन्त आया

धरती सजी
शहनाई-सी बजी
वसन्त आया

फूली सरसों
कब आओगे तुम
बीते बरसों

चाँदनी रात
सपनों की बरात
तुम्हारा साथ

-सरिता शर्मा

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अमिया झूली
सरसों पीली फूली
मन वासंती

पिचकारी से
उड़े फागुनी रंग
फ़िज़ा हँस दी

जल हिलोर
फागुन में विभोर
रंगों की होड़

महुआ गंध
फागुन में उमंग
मन पतंग

रंगों की छत,
फागुन की तासीर
मेरी जागीर

रंग महाल
बजे जल तरंग
फागुन संग

-लावण्या शाह

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पहली होली
साली ने की ठिठोली
संग में हो ली।

-डॉ शरद जैन

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