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रक्षा का त्यौहार

 

शुभकर पूनम-चाँदनी, बरसे मन के द्वार
प्रेम बढ़ाने आ गया, रक्षा का त्यौहार

रँगतीं स्नेहिल राखियाँ, दिल का रेगिस्तान
है हर तार विशेष जो, बाँधे हिन्दुस्तान

रंग-बिरंगी राखियाँ, लाईं अजब बहार
सजे माल, बाजार हैं, करे गजब त्यौहार

स्नेह तार ही बहन का, भाई को उपहार
इससे बढ़ कर कुछ नहीं, फीका हीरक हार

राखी पावन प्रेम की, वादे-रस्म अटूट
गहना बंधन नेह का, कहीं न जाए टूट

बहना को सम्मान दें, इसे निभाए देश
समता, रक्षण, मित्रता, उत्सव का संदेश

राखी से रक्षित बहन, कहें सुनहरे तार
गर्भ-मृत्यु अपराध है, कन्या है उपहार

- मंजु गुप्ता
१५ अगस्त २०१६

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