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सुख की मंगल कामना

 

बाबुल के अँगना खिला, भ्रात बहन का प्यार
भैया तुमसे भी जुड़ा, है मेरा संसार।

माँ आँगन की धूप है, पिता नेह की छाँव
भैया बरगद से बने, यही प्रेम का गाँव

सुख की मंगलकामना, बहन करें हर बार
पाक दिलों को जोड़ता, इक रेशम का तार

चाहे कितने दूर हो, फिर भी दिल से पास
राखी पर रहती सदा, भ्रात मिलन की आस

प्रेम डोर अनमोल ये, जलें ख़ुशी के दीप
माता के आँचल पली, बेटी बनकर सीप

- शशि पुरवार
१५ अगस्त २०१६

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