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            कौन है यहाँ

 
कौन है यहाँ जो मोहक सुवास लाया है
यों लगा कि कोई त्योहार खास आया है

जो सुगंध सोंधी सी आ रही है हर घर से
गुड़ ढले गजक बनकर और तिल समाया है

शीत ने किया दिल से ऋतु बसंत का स्वागत
सूर्य ने दिशा बदली वो खुमार छाया है

आसमान में उड़ती है पतंग धागों से
ढील भी मिली तो उसने मुकाम पाया है

दाल-अन्न खिचड़ी में हरित मटर के दाने
शानदार तड़का घी ने गज़ब निभाया है

सूर्य जो मकर पर हैं देवता जगे सारे
स्नान ध्यान का उत्सव यह बहुत सुहाया है

पर्व यह मना लो उत्साह से 'ऋता' अब तो
शुभ मुहूर्त का नव पंचांग आज भाया है

- ऋता शेखर मधु
जनवरी २०२४

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