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मौसम अलबेला
 
मकर संक्रांति

उत्तरोन्मुख सूर्य - प्रेरित कान्ति का अवसर
आ गया फिर से मकर संक्रांति
का अवसर

लहलहाते खेत पूरी कर चुके हैं आस
है कृषक-मुख पर सजा उपलब्धि का आभास
दृष्ट है प्राचुर्य से सुख-शान्ति
का अवसर

"क्या करें कैसे करें" यह भाव है अब नष्ट
आज भारत देश में हर लक्ष्य है स्पष्ट
अब हुआ इतिहास, मन की भ्रान्ति
का अवसर

मिल रहे हैं अब प्रगति को नित नए आयाम
बढ़ रहा है देश का अब विश्व भर में नाम
अग्रसर है देश में नव-क्रान्ति
का अवसर

पा सकेगा अब हृदय विश्रान्ति का अवसर
आ गया फिर से मकर संक्रांति
का अवसर

- भूपेन्द्र सिंह "शून्य"
जनवरी २०२४

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