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रथ घूमा सूरज का
 
रथ घूमा सूरज का
समय के वलय पथ पर

भीष्म प्रण का
मिथक याद आया उत्तरायण
वसु विमोचित शाप से
देवव्रत कथा - क्षण,
या कि ऋतुपति आगमन
रच गया संदेश
बासंती हृदय पर

उत्स यह
कागजी चिरैयों का आकाश भर
लिख रहीं फुदक कविता
मुक्त मन उल्लास भर
लो समय ने कर बढ़ाया
थाम भी लो सदयवर

- चन्द्रप्रकाश पाण्डे
१५ जनवरी २०१७

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