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मकर संक्रांति के दिन
 
धीरे धीरे बदल रहा है
शायद ये मौसम
धीर संजोये रखना
लौटेंगे चमकीले दिन

हौले हौले लगे निखरने
झीलों नदियों के दर्पण
झाँक रही है इतराती
इठलाती उनमें सूर्य किरण
कुछ दिन में ही-
तितली फूलों, भँवरों से
आँगन भर जाएगा
धीर संजोये रखना
चहकेंगे शर्मीले दिन

रिश्तों ने अपनी गरमाई
के देखो ख़त भेज दिए
धड़कन में पैठी नरमाई
के देखो ख़त भेज दिए
आँचल में भर-
हवा छींटती घूम रही
गुड सी मीठी खुशबू

धीर संजोये रखना
पिघलेंगे बर्फीले दिन

- सीमा अग्रवाल
१५ जनवरी २०१७

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