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दीप धरो
वर्ष २०१२ का दीपावली संकलन

इक दिवाली ये भी है



 

बिजलियों से जगमगाई, इक दिवाली ये भी है
रोशनी घर तक न आई, इक दिवाली ये भी है

दीप अब दिखते हैं कम ही, मर रही कारीगरी
मँहगी है दीयासलाई, इक दिवाली ये भी है

थी नहीं जब रौशनी, रौशन हुआ करते थे दिल
रीत क्यों उल्टी चलाई, इक दिवाली ये भी है

देखते ललचा के लाखों, कुछ के तन कपड़े नए
फुलझड़ी की मुँह चिढ़ाई, इक दिवाली ये भी है

दावतों में फिंक रहा, अनमोल भोजन रात दिन
सुमन बस देखे मिठाई, इक दिवाली ये भी है

- श्यामल सुमन
१२ नवंबर २०१२

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