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दिये जल ही गये

   



 

यों बढ़ी बात कि बातों में दिये जल ही गये
फिर से तनहाई की रातों में दिये जल ही गये

ऐसी दीवाली हुई छोटा-बड़ा देखा नहीं
थालियों और परातों में दिये जल ही गये

मंदिरों, महलों, मकानों में जला करते थे
वक़्त आया तो अहातों में दिये जल ही गये

रुख हवाओं का खतरनाक रहा फिर भी जहाँ
कारवाँ ठहरा, कनातों में दिये जल ही गये

अश्क बरसे तो बहुत गम के अँधेरों में मगर
देखिये सब्र के छातों में दिये जल ही गये

- मदन मोहन शर्मा
१५ अक्तूबर २०१६
   

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