अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर


अप्प दीपो भव

   



 

अंधकार
नही मात्र कलंक
है प्रकाश की पूर्णता
एकांत की अभिव्यक्ति
शान्ति का संगीत
एक अवसर
मनन का
नवीन प्रजनन का
चयन करती प्रकृति
स्वयं ये विकल्प
अंध में तृप्ति
मन की गहन वृत्ति

अंधकार
मन का अहं, अधोगामी प्रवृत्ति
सुख दुख, वासना, तृष्णा,
कलह, पीड़ा, रुदन, क्रंदन,
पद प्रतिष्ठा, लाभ - हानि,
यश-अपयश
मन के मेघ
अनवरत बदलते भेष
मन के पीछे रहता स्थिर
जागृति, साक्षी चेतना
का एक दीप विशेष
स्वप्रकाशित तेज
देता एक संदेश
अप्प दीपो भव
दुःखों से परे
सुख का आधार
खुद का जल जाना ही
दीपावली त्योहार
.
- उमेश मौर्य
१५ अक्तूबर २०१६
   

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter