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इस अमावस रात को पूनम बना दे

   



 

एकता में बल है कितना ये बता दे
इस अमावस रात को
पूनम बना दे

दूर से नक्षत्र
सब ललचा रहे हैं
देख मुख मण्डल तेरा भरमा रहे हैं
सौर से भी दिव्य यह पृथ्वी बना दी
और तारों की लड़ी नभ से चुरा ली

साथ ही मन के अँधेरे भी मिटा दे

इस अमावस रात को
पूनम बना दे

शक्ति
अपनी
जान ले ओ दीप मेरे
दिखा कूवत दूर कर दे सब अँधेरे
शक शुबह संदेह जो अंतर बसे हैं
दूर कर दे क्लेश के बादल घनेरे

रौशनी के पर्व की क्षमता दिखा दे
इस अमावस रात को
पूनम बना दे

- सरस दरबारी
१५ अक्तूबर २०१६
   

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