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     1अबकी दीवाली

मँहगाई में गुम 'हरखू' की
अबकी दीवाली

इन्द्र देवता ऐसे बरसे
फसल हुई चौपट
बढ़ी कोढ़ में खाज सरीखी
भाई से खटपट
खीझ भरे ताने ऊपर से
देती घरवाली

लाई-खील-बताशे महँगे
मिलते 'पैकेट' में
उसके लिए कहाँ हैं पैसे
उसकी 'पॉकेट' में
रूई-दीपक कहाँ, तेल की
शीशी है खाली

सरपंची में जिसकी खातिर
की हाथापाई
उसने भी उधार देने की
आशा ठुकराई
भोग रही हैं गीली आँखें
दीवाली-काली

-शैलेन्द्र शर्मा
१ नवंबर २०२०

 

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