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         कंदील आसमां में

लो हुई कंदील रोशन आसमाँ में
रोशनी की धूम है अब कहकशाँ में

ढूँढने निकले सितारों संग शरारे
छुप गया है चाँद जाने किस मकाँ में

आज उतरे हैं फरिश्ते रोशनी के
आसमाँ का नूर ले कर इस जहाँ में

सज रहीं कंदील रंग-रंग की रंगीली
हर घरों की अब छतों और सायबाँ में

रोशनी कंदील की किसकी है बेहतर
गर्म चर्चे ख़ूब हैं फिर क़द्रदाँ में

मुद्दतों के बाद कोलाहल मचा है
आज ख़ुशियों से चमकते आशियाँ में

रोशनी के फूल 'कुंतल' खिल रहे हैं
झूमते कंदील के इस बोस्ताँ में

- कुंतल श्रीवास्तव
१ नवंबर २०२१

     

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