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       कंदील जलाई है

आज खुशी ने चाँद-सितारे भर कंदील जलाई है
धूनी देकर नज़र उतारो ज़र-कंदील जलाई है

सपनों की खिड़की पर गहरे अँधियारों के साये थे
कोने-कोने पे हिम्मत लौ से हर कंदील जलाई है

पुल नीचे-से गुज़रा पानी माना लौट न पाता,-पर
उसने बादल से उम्मीदें कर कंदील जलाई है

जिन-बातों-को-सोच-के-अक्सर-आँखें-भर-भर-आती-थीं
मन ने उन बातों के छप्पर पर कंदील जलाई है

जिसके दर से जग में कोई खाली हाथ नहीं आता
आँखें मूँदे हमने उसके दर कंदील जलाई है

अपनों-का-जब-साथ-हो-और-हाफ़िज़-हो-जब-आप-खुदा
'रीत' नहीं फिर तूफां का डर, गर कंदील जलाई है

- परमजीत कौर 'रीत'
१ नवंबर २०२१

     

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