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         कंदील बालो

तमस घिरता जा रहा
कंदील बालो

टिमटिमाए चेतना का बाल नन्हा
डग भरे, इस घोर तम, में फिरे तन्हा
फुलझड़ी से प्यार दो
उसकी बला लो

गगन कोई मार्ग का, नक्शा न लिखता
अमावस काली, न उड़ता पंख दिखता
ज्योत इसकी, किरण पथ-
में रथ चला लो

टिमटिमाता दीप, मुझमें तेल डालो
नाश तम का, अर्चना की रश्मि पा लो
दे सहारा, भक्ति का
चंदन लगा लो

- हरिहर झा

१ नवंबर २०२१
     

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