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         संस्कृति की कंदील

संस्कृति की कंदील जले
हर वंचित के घर में
सब सुविधाएँ सबके घर हों
स्वास्थ्य पले तन में

रहे रौशनी सबके घर में
चूल्हा रोज जले
दुख की मावस बीत जाएगी
सुख का राज चले

रीति-रिवाजों से हम जुड़ के
प्रेम भरे उन्मन में

करें उजाला दीवाली का
खुशियाँ भर लाएँ
हो लक्ष्मी का पूजन मिलकर
कुंठा दूर भगाएँ

आशाओं की रचा रँगोली
रंग भरें दामन में

- डॉ मंजु गुप्ता
१ नवंबर २०२१

     

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