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         कंदीलों की टोली आई

कहीं हँसी औ' कहीं ठिठोली
झर-झर झरते अक्षत-रोली
गाती ढपली, बजती ढोलक
बरस रहे हैं गीत

चले पटाखे अपनी धुन में
सरपट दौड़े, उड़े गगन में
फुलझड़ियों को आई मस्ती
मन में उपजी प्रीत

फिरकी देखो झाँक रही है
थिरक-थिरक कर नाच रही है
झूमे धरती गाए आँगन
गूँज उठे संगीत

कंदीलों की टोली आई
अँधियारी मावस शरमाई
रंग-बिरंगी खुशियाँ बिखरीं
गाएँ हिलमिल गीत

खील-बताशे की ज्यौनार
जुड़े रहें तन-मन के तार
लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू
धन बरसाए भर-भर चुल्लू
सुख की रात अनोखी आई
दुःख जाएँगे रीत

मंत्रों से अभिसिंचित धरती
सारे जग का कालुष हरती
सजी दिवाली दुल्हन जैसी
गूँजें मंगल गीत

- मीना अग्रवाल

१ नवंबर २०२१

     

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