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             दिवाली


वतन की है तहज़ीब-ओ-ज़ीनत दिवाली
न हिन्दू, न मुस्लिम, मुहब्बत दिवाली

गले से लगा लो सभी दोस्तों को,
तुम्हारी ही अज़मत ये रहमत दिवाली

हिना हाथ महके रंगोली सजा लो
सभी के लिए है अमानत दिवाली

हैं लफ़्ज़ों-से बिखरे ये मिट्टी के दीपक
ग़रीबों के गीतों की सूरत दिवाली

उजाले से होता है हरसू अंधेरा
अंधेरे की कैसी सियासत दिवाली

- अयाज़ ख़ान

१ नवंबर २०२३
   

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