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           दीप जले


दीप जले आयी दीवाली
रुत आयी मतवाली
छिपा अंधेरा दीप के नीचे
फैली है खुशहाली

हर घर हुयी सफाई
चमक उठा दालान
खेतों में फसलें लहराईं
आयी जान में जान
हर हाथों में फुलझड़ियाँ हैं
खूब जमी दीवाली
बढ़ा प्रदूषण कुछ चेतो
अब न जलाओ पराली

लाई, चिवड़ा, खील, मिठाई
खूब बिके बाजार
चारों तरफ धमाल मचा है
हर सू हुआ गुलजार
अंधकार नतमस्तक है
जगमग दीपक करे जुगाली
गाँव गली में शोर मचा है
कदमताल करती दीवाली

- गंगा पाण्डेय "भावुक"
१ नवंबर २०२३
   

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