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आसमान में अंकित सूरज
 
आसमान में अंकित सूरज
मेरा तुमको आमंत्रण है
राज करो आकर धरती पर
बदली में कैसा
विचरण है

हुए कई दिन पास न आये
ऐसी भी है क्या मजबूरी
ठिठुर रहे हैं बच्चे बूढ़े
प्रश्न यहाँ पर जनम
मरन है

देखो कितनी किरनें फूटीं
कितनी ही आशायें रूठीं
आजाओ अब मेरे प्यारे
कितने मैंने किये
जतन हैं

रूठ गये हैं अलाव यहाँ पर
ठंडी पड़ गयी चिंगारी भी
हुये बहुत मायूस ये पंछी
लौट चले वह अपने
वतन हैं

आसमान में अंकित सूरज
मेरा तुमको आमंत्रण है
राज करो आकर धरती पर
बदली में कैसा
विचरण है

- आभा सक्सेना
१२ जनवरी २०१५

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