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सूर्य उत्तरायण हुआ
 
सूर्य उत्तरायण हुआ, बड़े हुए दिनमान
फिर प्रकाश मुखरित हुआ, गूँजे सुख के गान

आते ही संक्रांति के, घटी शीत -दुःख-रात
दिनकर का नव पथचलन, बाँट रहा सौगात

धर्म-प्राण जन जन हुआ, बदल गए प्रतिमान
लेन - देन उत्सव हुआ, सबको भाया दान

शुभ अवसर संक्रांति का, उड़ने लगीं पतंग
फिर छाए उल्लास के जीवन में सौ रंग

सपनों की फसलें उगीं, फूले फले किसान
नव सूरज बिखरा गया, मधुर मधुर मुसकान


- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
१२ जनवरी २०१५

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