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अम्बर के नैना भर आए
 

 

अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के

प्रात स्नान कर दिनकर निकला
छुपा क्षणिक आनन को दिखला

संध्या के आंचल में लाली
वीर बहूटी दहके
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के

दुख श्यामल घन-सा अंधियारा
इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा

जीवन की हरियाली बन कर
हरा-हरा तृण महके
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के

-महेंद्र वर्मा
२१ जुलाई २०१४

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