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         बारिशें

 
 
बारिशें
न दिन देखती हैं न रात
न देखती हैं मिजाज़ किसी शहर का
वो पहचानती हैं भाषा उस शहर की जलवायु का
वो करना जानती है कोडिंग -डिकोडिंग पछुआ हवाओं की चाल का
बारिशें नही देखतीं
किसी उदास मन की वीरानियाँ
या उत्सव ख़ुशी का किसी चेहरे पर
बारिशें तो बरसती हैं बस बरस जाने के लिए

कि
स्थापित कर सकें वे संतुलन
क़ुदरत के बनाये नियमों के बीच
ये तो हम इंसान हैं
और हममें साँस लेता कवि हृदय है
जिसे पसंद है प्रेम-कविता लिखना और पढ़ना
जो बारिश की बूँदों के पर्दे पर
अपने शब्दों के प्रोजेक्टर से
दिखा देता है नमकीन दिनों की
एक फ़िल्म कुछ ऐसे
कि बारिशें हैं
भीगा-भीगा समाँ है

आँखों में मचलती ख्वाहिशें और
अधरों पर आग्रह का स्पंदन है
बाहों के दरमियाँ
साँसों की सरगम पर
धड़कते दो जवाँ दिलों का
प्रणय समर्पण है
और है .दूर कहीं
बारिश में नहायी वादियों में
चीड़ के पेड़ पर टिका हुआ
बादलों का एक सफेद गुच्छा

- आभा खरे
१ सितंबर २०२५

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