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खुशियाँ सावन की |
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आते ही बरसात के
धरती इतराने लगी
अपना हरा-भरा रुप
सबको दिखलाने लगी
आते ही बरसात के
धरती इतराने लगी
सभी मेहमानों को
अपने घर बुलाने लगी
आए ठुमक- ठुमक कर
मेघा और पतंगा,
नाचे झूम -झूम के
मोर और पपीहा
जगह-जगह पानी के थल सजे,
मेहमानों के पग-प्रछालन को
क्या सुंदर छवि छाई है
मेघन के आवन की,
सभी के जीवन में
आई है खुशियाँ सावन की
- मीरा ठाकुर
१ सितंबर २०२५ |
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