अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर


         खुशियाँ सावन की

 
 
आते ही बरसात के
धरती इतराने लगी
अपना हरा-भरा रुप
सबको दिखलाने लगी

आते ही बरसात के
धरती इतराने लगी
सभी मेहमानों को
अपने घर बुलाने लगी

आए ठुमक- ठुमक कर
मेघा और पतंगा,
नाचे झूम -झूम के
मोर और पपीहा
जगह-जगह पानी के थल सजे,
मेहमानों के पग-प्रछालन को

क्या सुंदर छवि छाई है
मेघन के आवन की,
सभी के जीवन में
आई है खुशियाँ सावन की

- मीरा ठाकुर
१ सितंबर २०२५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter