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         कुछ हाइकु

 
 
जीवन मिला
सूखे सरोवर में
अम्बुज खिला

धानी चादर
धरती ने ओढ़ ली
लहराकर

खिल गया है
फूल मेरे बाग़ में
रंग मैं उठी

जीवन लाये
यादों के घहराये
बादल आये

खोल के पाँखें
तालाब के जल में
तैरती शाखें

पत्तों के जोड़े
शाखों पर बैठ के
झूलते झूले

फूल अधीर
रंगों से खींच गया
कोई तस्वीर

रंग भरे हैं
ज़िन्दगी की आस ने
पात -पात में

वर्षा का जल
छप -छप करते
बाल - विहग

सखी -सहेली
सावन वाले झूले
कभी न भूले!

- मिथिलेश दीक्षित
१ सितंबर २०२५

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