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         मेघा आते

 
 
मेघा आते
बारिश लाते
घुमड़ घुमड़ कर आस दिखाते

बिन बरसे
वापस हो जाते
पल में सूरज को ढक लेते
घनन घनन घन घोर बरसते
आसमान से बादल फटते
पर्वत पत्थर तोड़ बहाते

सागर सी बन नदियाँ बहती
अस्त व्यस्त जीवन हो जाता
मेघा आते बारिश लाते
धरती से जब मिलती बूँदें
सौंधी खुशबू से मन झूमे

पंख फड़फड़ा कर गौरैया
मेघों के स्वागत को आतुर
मेघा आते बारिश लाते
रंग-बिरंगी कश्ती थामे
नन्हे मुन्ने निकले घर से
नावों के संग खूब तैरते
छप छप करके खेल खेलते
रिमझिम रिमझिम सी फुहार में

महक रही हाथों में मेंहदी
खनक रहीं हैं धानी चूड़ी
सखियाँ मिल कर झूला झूले
गीत मल्हार की धुन वो छेड़ें
कुहु कुहु कर कोकिला गाए
पिउ पिउ चातक चिल्लाए
बारिश के आते ही
जीव जन्तु हर्षित हो जाएँ
मेघा आते बारिश लाते

- स्मृति गुप्ता
१ सितंबर २०२५

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