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         रिमझिम

 
 
कुछ बहुत गहरे रंग चुरा कर
बारिश ने बादल के पंख लगा
मुट्ठी भर ख्वाब गुने
हवा के झूलने पर
बैठ आसमान के घर से
उतरी बारिश मेरे आँगन

सौगातों संग
रिमझिम रिमझिम
आँखों में भरी धूप दरक गयी
सपनों ने पहन लिया
इन्द्रधनुषी चश्मा
कुछ पल को ही सही बादलों संग फैल गया
आसमान में सतरंगी इन्द्र धनुष

सूरज की लाली ने
डूबती शाम से
मुट्ठी भर रंग उधार माँग कर
उड़ा दिए रंगों के बादल
कुछ पल के लिए ही सही
खुशी मेरे आँगन में
बारिश-सी बरसी रिमझिम रिमझिम

- मंजुल भटनागर
१ सितंबर २०२५

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