विजयदशमी की कविताओं का संकलन
 

 

पिंजरे का तोता

राम सुमिरन कर रहा
पिंजरे का तोता !

जो गुना सीखा
सभी से वही बोले
स्वप्न के नभ में
विचरता पाँख खोले
संत-सा अपनी ही धुन
संझा-सकारे
मधुर स्वर में
नाम रघुवर का उचारे

धन्य जीवन कर रहा
पिंजरे का तोता !

भूख-भर चुग्गा मिला
जय राम जी की
प्यास-भर पानी मिला
जय राम जी की
किन्तु बंधन सुख नहीं
नित कष्टदायक
पक्षिकुल से दूर
यह वनवास दाहक

मुक्ति साधन कर रहा
पिंजरे का तोता !

-- अश्विनी कुमार विष्णु


 

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